Sunday 6 March 2016
Antarvasna Hindi sex stories Kamukta-पहली बार चुद कर भैया के साथ सुहागरात मनाई
Hindi sex stories
पहली बार चुद कर भैया के साथ सुहागरात मनाई
पहली बार चुद कर भैया के साथ सुहागरात मनाई
हैलो दोस्तो, मेरा नाम प्रीति है और मैं शामली की रहने वाली हूँ..
आज आपके साथ मैं अपनी सच्ची कहानी बाँटने जा रही हूँ।
सबसे पहले मैं आपको आपने बारे मैं बता दूँ.. मेरा फिगर 34-30-34 है।
हम 3 बहनें और 1 भाई हैं।
एक बहन मुझसे बड़ी है और एक मुझसे छोटी है..
भाई सबसे छोटा है।
यह बात आज से 3 साल पहले की है।
जब मैं अपनी बुआजी के यहाँ घूमने गई थी और बुआजी बीमार भी थीं.. तो मैं वहाँ एक महीना रहने के लिए आई थी।
ठंड के दिन थे.. जनवरी का महीना था।
वहाँ मेरे भैया यानि की बुआजी के लड़के थे.. जो मुझे देख कर बहुत खुश हुए।
उनका नाम सचिन है.. वो मुझे अपनी सबसे अच्छी बहन मानते थे और मुझे बहुत प्यार करते थे।
जब मैं बुआ के घर पहुँच गई तो फूफा जी बुआ को हस्पताल दिखाने ले गए और उनको वहीं भरती कर देना पड़ा और वो घर वापस नहीं आ पाईं और उस रात को घर में सिर्फ हम दोनों ही थे, वो भी अकेले..
रात को खाना खा कर जब हम दोनों सोने चल दिए तो भैया ने कहा- दो बिस्तर की क्या जरूरत है.. आज एक बिस्तर में ही सो जाते हैं।
तो हम दोनों एक बिस्तर में ही लेट गए।
भैया को कपड़े निकाल कर सोने की आदत है.. तो वो कपड़े निकाल कर मेरे पास आ कर लेट गए।
मुझे बहुत अजीब सा लगा.. क्योंकि मैं आज तक किसी लड़के के साथ ऐसे नहीं लेटी थी।
भैया मेरी पढ़ाई के बारे में पूछने लगे और अपनी पढ़ाई के बारे में बताने लगे।
थोड़ी दर बात करने के बाद मुझे नींद आने लगी तो मैं भैया से कह कर सोने लगी।
वे भी सोने लगे।
अभी कुछ ही देर हुई होगी कि भैया का लंड मेरे पीछे मेरी गाण्ड में घुसने तो तैयार सा लगा।
तो मैंने अपने हाथ से हटाने के बहाने उसे छू कर देखा.. तो वो बहुत मोटा और लंबा था और गरम भी हो रहा था।
भैया भी अभी तक सोए नहीं थे।
जैसे ही मैंने उनके लंड को छुआ तो उन्होंने मुझे अपनी बाँहों में भर लिया और मुझे चुम्बन करने लगे।
मुझे भी अच्छा लग रहा था क्योंकि ये सब मेरे साथ पहली बार हो रहा था।
मैं भी उनको चुम्बन करने लगी।
भैया ने पूछा- तेरा कोई ब्वॉय-फ्रेण्ड है क्या?
तो मैंने मना कर दिया।
वैसे भी मेरा कोई ब्वॉय-फ्रेण्ड था भी नहीं..
भैया मुझे चुम्बन करते रहे, वे कभी गालों पर चूमते, कभी मेरे होंठों पर.. कभी पेट पर..
मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, मेरी चूत गीली हो गई थी।
थोड़ी देर बाद भैया ने मेरी सलवार में अपना हाथ डाल दिया।
मुझसे भी रहा नहीं गया तो मैंने भी उनके अंडरवियर में हाथ डाल दिया।
फिर भैया ने मेरी सलवार का नाड़ा खोल दिया और पैन्टी नीचे करके मेरी चूत को चाटने लगे।
मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।
फिर भैया ने मुझसे कमीज उतारने को कहा तो मैंने बिना देर किए अपना कमीज उतार दिया और ब्रा भी उतार दी।
अब मैं बिल्कुल नंगी भैया की बाँहों में थी।
वो मेरी चूचियों को दबा रहे थे और पी भी रहे थे।
मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।
थोड़ी देर बाद भैया अपना लंड हाथों में लेकर बोले- अब इसे अपने मुँह में ले ले।
मैंने कभी ऐसा किया नहीं था तो मैंने मना कर दिया।
उन्होंने अपनी कसम दी.. तो मैंने उनका लंड अपने मुँह में ले लिया।
थोड़ी देर चुसवाने के बाद उन्होंने अपना सारा माल मेरे मुँह में निकाल दिया।
फिर हम थोड़ी देर चुम्बन करते रहे।
चूमा-चाटी के बाद भैया का लंड फिर से खड़ा हो गया और वो मेरी चूत पर लवड़ा रख कर मुझसे बोले- मुझे होंठों से चुम्बन कर और नीचे अपनी जाँघों को ढीला कर..
मैंने ऐसा ही किया.. कुछ पलों तक चुम्बन करने के बाद उन्होंने एक जोरदार धक्का मारा उनका आधा लंड मेरी चूत में चला गया।
मुझे बहुत दर्द हुआ.. मेरी चीख निकल जाती.. अगर भैया के होंठ मेरे होंठों में ना चिपके होते।
मेरी चूत से खून भी निकल रहा था..
इससे पहले मुझे थोड़ा आराम मिलता.. कि भैया ने एक और धक्का मारा.. अब पूरे का पूरा लंड मेरी चूत में समा गया।
फिर थोड़ी देर बाद जब मैं सामान्य हुई तो उन्होंने मुझसे पूछ कर धक्के मारने शुरू कर दिए।
करीब 10-12 मिनट की चुदाई के बाद मैं और भैया एक साथ झड़ गए।
भैया ने अपना लंड और मेरी चूत मेरी पैन्टी से साफ़ की और मुझे दर्द की गोली ला कर दी।
उस रात भैया ने मुझे 3 बार चोदा.. चुदाई करने के बाद हम नंगे ही सो गए।
बुआजी दो दिन बाद आईं.. इन दो दिनों में हमने खूब मज़े किए।
एक बार तो मैं दिन में रसोई में भी चुदी…
उस दिन के बाद भैया मेरे लवर बन गए और भी एक साल बाद मैं दोबारा बुआजी के घर गई तो बुआजी और फूफाजी कहीं बाहर चले गए तो भैया ने मेरी माँग भर दी और मुझे अपनी घरवाली बना लिया.. वे मुझे साड़ी पहनाने लगे।
मुझे साड़ी पहना कर उन्होंने मुझसे कहा- आज हमारी सुहागरात है।
हमने सुहागरात मनाई।
आज भी हम दोनों सब के सामने भाई-बहन हैं और अकेले में पति-पत्नी की तरह रहते हैं।
अब मेरे भैया मेरी जान बन गए हैं।
मैंने उनका नाम प्यार में ‘जानू’ रखा है। हमें जब भी मौका मिलता है चुदाई जरूर करते हैं।
तो दोस्तो, यह थी मेरी पहली चुदाई की कहानी। कैसी लगी आपको..
पहली बार चुद कर भैया के साथ सुहागरात मनाई
पहली बार चुद कर भैया के साथ सुहागरात मनाई
हैलो दोस्तो, मेरा नाम प्रीति है और मैं शामली की रहने वाली हूँ..
आज आपके साथ मैं अपनी सच्ची कहानी बाँटने जा रही हूँ।
सबसे पहले मैं आपको आपने बारे मैं बता दूँ.. मेरा फिगर 34-30-34 है।
हम 3 बहनें और 1 भाई हैं।
एक बहन मुझसे बड़ी है और एक मुझसे छोटी है..
भाई सबसे छोटा है।
यह बात आज से 3 साल पहले की है।
जब मैं अपनी बुआजी के यहाँ घूमने गई थी और बुआजी बीमार भी थीं.. तो मैं वहाँ एक महीना रहने के लिए आई थी।
ठंड के दिन थे.. जनवरी का महीना था।
वहाँ मेरे भैया यानि की बुआजी के लड़के थे.. जो मुझे देख कर बहुत खुश हुए।
उनका नाम सचिन है.. वो मुझे अपनी सबसे अच्छी बहन मानते थे और मुझे बहुत प्यार करते थे।
जब मैं बुआ के घर पहुँच गई तो फूफा जी बुआ को हस्पताल दिखाने ले गए और उनको वहीं भरती कर देना पड़ा और वो घर वापस नहीं आ पाईं और उस रात को घर में सिर्फ हम दोनों ही थे, वो भी अकेले..
रात को खाना खा कर जब हम दोनों सोने चल दिए तो भैया ने कहा- दो बिस्तर की क्या जरूरत है.. आज एक बिस्तर में ही सो जाते हैं।
तो हम दोनों एक बिस्तर में ही लेट गए।
भैया को कपड़े निकाल कर सोने की आदत है.. तो वो कपड़े निकाल कर मेरे पास आ कर लेट गए।
मुझे बहुत अजीब सा लगा.. क्योंकि मैं आज तक किसी लड़के के साथ ऐसे नहीं लेटी थी।
भैया मेरी पढ़ाई के बारे में पूछने लगे और अपनी पढ़ाई के बारे में बताने लगे।
थोड़ी दर बात करने के बाद मुझे नींद आने लगी तो मैं भैया से कह कर सोने लगी।
वे भी सोने लगे।
अभी कुछ ही देर हुई होगी कि भैया का लंड मेरे पीछे मेरी गाण्ड में घुसने तो तैयार सा लगा।
तो मैंने अपने हाथ से हटाने के बहाने उसे छू कर देखा.. तो वो बहुत मोटा और लंबा था और गरम भी हो रहा था।
भैया भी अभी तक सोए नहीं थे।
जैसे ही मैंने उनके लंड को छुआ तो उन्होंने मुझे अपनी बाँहों में भर लिया और मुझे चुम्बन करने लगे।
मुझे भी अच्छा लग रहा था क्योंकि ये सब मेरे साथ पहली बार हो रहा था।
मैं भी उनको चुम्बन करने लगी।
भैया ने पूछा- तेरा कोई ब्वॉय-फ्रेण्ड है क्या?
तो मैंने मना कर दिया।
वैसे भी मेरा कोई ब्वॉय-फ्रेण्ड था भी नहीं..
भैया मुझे चुम्बन करते रहे, वे कभी गालों पर चूमते, कभी मेरे होंठों पर.. कभी पेट पर..
मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, मेरी चूत गीली हो गई थी।
थोड़ी देर बाद भैया ने मेरी सलवार में अपना हाथ डाल दिया।
मुझसे भी रहा नहीं गया तो मैंने भी उनके अंडरवियर में हाथ डाल दिया।
फिर भैया ने मेरी सलवार का नाड़ा खोल दिया और पैन्टी नीचे करके मेरी चूत को चाटने लगे।
मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।
फिर भैया ने मुझसे कमीज उतारने को कहा तो मैंने बिना देर किए अपना कमीज उतार दिया और ब्रा भी उतार दी।
अब मैं बिल्कुल नंगी भैया की बाँहों में थी।
वो मेरी चूचियों को दबा रहे थे और पी भी रहे थे।
मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।
थोड़ी देर बाद भैया अपना लंड हाथों में लेकर बोले- अब इसे अपने मुँह में ले ले।
मैंने कभी ऐसा किया नहीं था तो मैंने मना कर दिया।
उन्होंने अपनी कसम दी.. तो मैंने उनका लंड अपने मुँह में ले लिया।
थोड़ी देर चुसवाने के बाद उन्होंने अपना सारा माल मेरे मुँह में निकाल दिया।
फिर हम थोड़ी देर चुम्बन करते रहे।
चूमा-चाटी के बाद भैया का लंड फिर से खड़ा हो गया और वो मेरी चूत पर लवड़ा रख कर मुझसे बोले- मुझे होंठों से चुम्बन कर और नीचे अपनी जाँघों को ढीला कर..
मैंने ऐसा ही किया.. कुछ पलों तक चुम्बन करने के बाद उन्होंने एक जोरदार धक्का मारा उनका आधा लंड मेरी चूत में चला गया।
मुझे बहुत दर्द हुआ.. मेरी चीख निकल जाती.. अगर भैया के होंठ मेरे होंठों में ना चिपके होते।
मेरी चूत से खून भी निकल रहा था..
इससे पहले मुझे थोड़ा आराम मिलता.. कि भैया ने एक और धक्का मारा.. अब पूरे का पूरा लंड मेरी चूत में समा गया।
फिर थोड़ी देर बाद जब मैं सामान्य हुई तो उन्होंने मुझसे पूछ कर धक्के मारने शुरू कर दिए।
करीब 10-12 मिनट की चुदाई के बाद मैं और भैया एक साथ झड़ गए।
भैया ने अपना लंड और मेरी चूत मेरी पैन्टी से साफ़ की और मुझे दर्द की गोली ला कर दी।
उस रात भैया ने मुझे 3 बार चोदा.. चुदाई करने के बाद हम नंगे ही सो गए।
बुआजी दो दिन बाद आईं.. इन दो दिनों में हमने खूब मज़े किए।
एक बार तो मैं दिन में रसोई में भी चुदी…
उस दिन के बाद भैया मेरे लवर बन गए और भी एक साल बाद मैं दोबारा बुआजी के घर गई तो बुआजी और फूफाजी कहीं बाहर चले गए तो भैया ने मेरी माँग भर दी और मुझे अपनी घरवाली बना लिया.. वे मुझे साड़ी पहनाने लगे।
मुझे साड़ी पहना कर उन्होंने मुझसे कहा- आज हमारी सुहागरात है।
हमने सुहागरात मनाई।
आज भी हम दोनों सब के सामने भाई-बहन हैं और अकेले में पति-पत्नी की तरह रहते हैं।
अब मेरे भैया मेरी जान बन गए हैं।
मैंने उनका नाम प्यार में ‘जानू’ रखा है। हमें जब भी मौका मिलता है चुदाई जरूर करते हैं।
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